प्रकाशन विभाग


किसी भी भाषा के प्रचार-प्रसार का सर्वाधिक सशक्त माध्यम उस भाषा में लिखा हुआ अथवा लिखा जाने वाला साहित्य ही होता है। साहित्य के अभाव में भाषा का लोप हो जाना स्वाभाविक है। भारत में कितनी ही भाषायें एवं बोलियां बोली जाती थी किन्तु उस भाषा का यथेष्ट साहित्य उपलब्ध न होने के कारण अथवा उस भाषा में लेखनविधा विकसित न होने के अभाव में वो भाषायें प्रायः लुप्त हो चुकी है या लुप्त होने के कगार पर हैं।

संस्कृत पूर्व में सामान्य बोल-चाल की भाषा थी अतएव संस्कृत भाषा में वेद, पुराण, स्मृति, वैदिक एवं लौकिक साहित्य पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है जिनमें ज्ञान-विज्ञान, चिकित्साशास्त्र, अर्थशास्त्र, पर्यावरण आदि मानव जाति के विकास एवं रक्षा हेतु अनेक विषय प्राप्त होते हैं।

आधुनिक जगत में भी संस्कृत साहित्य की सभी क्षेत्रों में प्रासंगिकता हो, इसी उद्देश्य के अनुरूप अकादमी स्थित प्रकाशन विभाग कार्य कर रहा है। प्रकाशन विभाग द्वारा ज्ञान परक साहित्य, विज्ञानपरक साहित्य, मनोरंजन परक साहित्य, समाज सुधार परक साहित्य, नीति परक साहित्य एवं बालोपयोगी साहित्य के प्रकाशन की दिशा में कार्य किया जा रहा है। संस्कृतेतर भाषा में प्रसिद्ध एवं अत्यन्त उपयोगी पुस्तकों का संस्कृत में अनुवाद कराये जाने की दिशा में भी प्रकाशन विभाग कार्यरत है जिससे न केवल किसी क्षेत्रीय/प्रान्तीय भाषा में लिखा उपयोगी साहित्य जनसामान्य को प्राप्त हो अपितु संस्कृतेतर भाषा का संस्कृत में अनुवाद किये जाने का भी अभिवर्धन हो सकें।

क्रम स. अधिकारी/कर्मचारी का नाम पदनाम दूरभाष ई-मेल
1 श्री किशोरी लाल रतूड़ी प्रकाशन अधिकारी 7500242603 rkraturi@gmail.com